अंगदान व देहदान (Organ donation and body donation in Hindi)
अंगदान व देहदान (Organ donation and body donation)
Organ donation and body donation in Hindi
- जीवित या मृत व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को कोई ऊतक या अंग का दान करना अंगदान कहलाता है । दाता द्वारा दान किया गया अंग ग्राही के शरीर मे प्रत्यारोपित किया जाता है। इस तरह अंगदान से दूसरे व्यक्ति की जिदंगी को ना केवल बचाया जा सकता है वरन् खुशहाल भी बनाया जाता है। ज्यादातर अंगदान दाता की मृत्यु के पश्चात ही होते हैं । एक निष्प्राण देह से करीब 50 जरूरतमंद लोगों की मदद की जा सकती है। अतः अंगदान हेतु देहदान अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। बच्चे से लेकर 90 वर्ष तक बुजर्ग भी अंगदान व देहदान करने में सक्षम है
अंगदान व देहदान का महत्व (Importance of organ donation and body donation)
- मानव देह प्रकृति की सर्वोत्तम कृति है परन्तु यह कृति किसी भी स्थिति में स्थायी नहीं है । भारतीय दर्शन में कहा गया है कि मानव देह – वायु, पानी, मिट्टी, अग्नि तथा आकाश से निर्मित है तथा मृत्यु उपरांत यह इन्हीं तत्वों में समाहित हो जाएगी। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या कोई ऐसा तरीका है जिससे हमारे शरीर का अस्तित्व लंबे समय तक बनाए रखा जा सके। कहा भी गया है कि “पशु मरे मनुज के सौ काम संवारे, मनुज मरे किसी के काम ना आवे ” । अतः आवश्यकता है कि मनुष्य मृत्यु पश्चात् प्राणी मात्र के काम आ सके। यह तभी संभव है जब मृत्यु उपरांत भी हम दूसरे व्यक्तियों में जीवित रहें। हमारी आँखें, गुर्दे, यकृत आदि अंग हमारी मृत्यु के पश्चात् भी किसी जरूरतमंद के जीवन में सुख ला पाए तो इस दान को सात्विक श्रेणी का दान कहा जाएगा। इस श्रेणी के दान को हमारे दर्शन में सर्वश्रेष्ठ तथा सबसे पवित्र दान कहा गया है। हमारे आध्यात्मिक गुरू भी सनातन काल से अंगदान व देहदान को बडे पुण्य का काम मानते रहे हैं । पुरातन काल में ऋषि दधीचि ने समाज की भलाई हेतु अपनी हड्डियाँ तक दान कर दी थी ।
- भारत में हर वर्ष करीब दो लाख गुर्दे दान करने की आवश्यकता है जबकि मौजूदा समय में प्रतिवर्ष 7000 से 8000 गुर्दे ही मिल पाते है । इसी प्रकार करीब 50,000 लोग हर वर्ष हृदय प्रत्यारोपण की आस में रहते है परन्तु उपलब्धता केवल 10 से 15 की ही है । प्रत्यारोपण के लिए हर वर्ष भारत में 50,000 यकृत की आवश्यकता है परन्तु केवल 700 व्यक्तियों को ही यह मौका प्राप्त हो पाता है। कमोबेश यही स्थिति सभी अंगों के साथ है। एक अनुमान के हिसाब से भारत में हर वर्ष करीब पाँच लाख लोग अंगों के खराब होने तथा अंग प्रत्यारोपण ना हो पाने के कारण मृत्यु को प्राप्त हो जाते है ।
- अंगदान की ही भांति देहदान भी एक ऐसा दान है जो समाज के लिए परम आवश्यक है। देहदान दो प्रमुख कारणों से आवश्यक है (a) मृत देह से अंग निकाल कर जरूरतमंद लोगों को प्रत्यारोपित किए जा सकते है। प्रायः अंगदान ऐसे मृत व्यक्ति से किया जाता है जिसकी दिमागी मृत्यु (Brain death) हुई हो। ऐसे मामलों में मृत व्यक्ति का दिमाग पूर्ण रूप से कार्य करना बंद कर देता है परन्तु शरीर के अन्य अंग कार्य करते रहते हैं। ऐसी देह से हृदय, यकृत, गुर्दे आदि अंग व्यक्तियों में प्रत्यारोपित किए जा सकते हैं। हालांकि आंकडे बताते है कि एक हजार में से केवल एक व्यक्ति की मौत ही इस प्रकार से होती है । मृत्यु के छ: से आठ घंटो के भीतर देह को नेत्रदान हेतु काम में लिया जा सकता है । (b) चिकित्सीय शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थी मृत देह पर प्रशिक्षण प्राप्त कर बेहतरीन चिकित्सक बनते हैं । मृत मानव की देह पर प्रायोगिक कार्य संपादन करने के पश्चात ही मेडिकल के विद्यार्थी मानव देह की रचना को भली प्रकार से समझ पाते हैं। इस हेतु मानव द्वारा देहदान की परम आवश्यकता है । यह मानव देह की अंतिम उपयोगिता है । ऐसे देह के दानी अपने पारिवारिक रिश्तों और सामाजिक-धार्मिक बंधनों से मुक्त हो कर समाज में शिलालेख की तरह कार्य करते है ।
- यह अत्यंत खेद का विषय है कि प्राचीन रूढिवादी मान्यताओं के कारण भारत में अंगदान करने वालों की संख्या प्रति दस लाख व्यक्तियों में 0.8 है जबकि विकसित देशों में यह 10 से 30 है। ऐसे में आवश्यकता है हम अंगदान व देहदान के महत्व को समझे और उन लोगों की मदद करें जिनका जीवन किसी अंग के अभाव में बड़ा कष्टप्रद है । हमे इस नेक कार्य के लिए आगे आकर समाज को इस श्रेष्ठ मानवीय कार्य के लिए प्रेरित करना चाहिए । इस पवित्र कार्य हेतु साधु-संत, शिक्षक, बुद्धिजीवियों आदि की मदद से समाज में व्याप्त अंधविश्वास को दूर कर अंगदान करने के लाभ लोगों तक पहुँचने की परम आवश्यकता है । इस प्रयोजन से भारत सरकार हर वर्ष 13 अगस्त का दिन अंगदान दिवस के रूप में मनाती है ।
- समाज के कई प्रतिष्ठित व्यक्ति इस कुलीन कृत्य के लिए आगे आए हैं। नब्बे वर्ष की उम्र में कार्निया दान कर कैप्टन लक्ष्मी सहगल (जो नेताजी सुभाष चंद बोस के संग आजादी की लडाई में शामिल थी) ने दो लोगों की जिन्दगी में उजाला भर दिया। हाल ही में साहित्यकार डॉ विष्णु प्रभाकर के परिजनों ने उनकी इच्छानुसार मृत्यु उपरान्त उनकी देह का दान किया । पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री श्री ज्योतिबसु, प्रख्यात समाजसेवी श्री नाना देशमुख आदि की देह भी उनकी इच्छानुसार मृत्यु पश्चात् दान कर दी गई। साध्वी ऋतम्भरा तथा क्रिकेटर गौतम गंभीर ने भी मृत्यु पश्चात् अपनी देह दान करने की घोषणा की है। ऐसे मनुष्य सही मायनों में महात्मा हैं तथा ये ही विचार क्रान्ति के ध्वजवाहक है ।
- हम सभी को कर्त्तव्यबोध के साथ रक्तदान, अंगदान तथा देहदान के लिए संकल्पित होना चाहिए ताकि हमारे इस पुनीत कार्य से हमारा कोई भाई-बहिन जिंदगी को जिदंगी की तरह जी पाएँ ।
कौन कर सकता है अंगदान व देहदान (Who can do organ and body donation)
- कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या लिंग को हो अंगदान व देह दान कर सकता है। 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों के लिए माता-पिता या कानूनी अभिभावक की सहमति आवश्यक है । दाता को अपने जीवन काल में दो गवाहों की उपस्थिति में लिखित सहमति प्रदान करनी चाहिए । यदि मृत्यु पूर्व ऐसा नहीं किया गया है तो अंगदान व देहदान का अधिकार उस व्यक्ति के पास होता है जिसके पास शव का विधिवत् आधिपत्य है । भारत में अंगदान व देहदान कानूनी रूप से मान्य है ।
प्रतिरक्षा एंव रक्त समूह (Immunity and Blood Groups) Questions and Answers in Hindi
1. प्रतिरक्षा में प्रयुक्त होने वाली कोशिकाएं…………..में नहीं पाई जाती हैं।
(क) अस्थिमज्जा
(ख) यकृत
(ग) आमाशय
(घ) लसीका पर्व
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उत्तर ⇒ { C }
2. प्लाविका कोशिका निम्न में से किस कोशिका का रूपांतरित स्वरूप है?
(क) बी लसीका कोशिका
(ख) टी लसीका कोशिका
(ग) न्यूट्रोफिल
(घ) क व ग दोनों
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उत्तर ⇒ { A }
3. एण्टीजनी निर्धारक निम्न में से किस में पाए जाते हैं ?
(क) प्रतिजन
(ख) IgG प्रतिरक्षी
(ग) IgM प्रतिरक्षी
(घ) प्लाविका कोशिका
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उत्तर ⇒ { A }
4. प्रथम उत्पादित प्रतिरक्षी है
(क) IgG
(ख) IgM
(ग) IgD
(घ) IgE
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उत्तर ⇒ { B }
5. माँ के दूध में पाए जाने वाली प्रतिरक्षी कौनसी है?
(क) IgG
(ख) IgM
(ग) IgD
(घ) IgA
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उत्तर ⇒ { D }
6. रक्त में निम्न में से कौनसी कोशिकाएं नहीं पाई जातीं ?
(क) लाल रक्त कोशिकाएं
(ख) श्वेत रक्त कोशिकाएं
(ग) बी लसीका कोशिकाएं
(घ) उपकला कोशिकाएं
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उत्तर ⇒ { D }
7. रक्त का विभिन्न समूहों में वर्गीकरण किसने किया?
(क) लुइस पाश्चर
(ख) कार्ल लैण्डस्टीनर
(ग) रार्बट कोच
(घ) एडवर्ड जेनर
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उत्तर ⇒ { B }
8. सर्वदाता रक्त समूह है
(क) A
(ख) AB
(ग) O
(घ) B
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उत्तर ⇒ { C }
9. गर्भ रक्ताणुकोरकता (Erythroblastosis fetalis) का प्रमुख कारण है
(क) शिशु में रक्ताधान
(ख) आर एच बेजोड़ता।
(ग) ए बी ओ बेजोड़ता
(घ) क व ग दोनों
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उत्तर ⇒ { B }
10. समजीवी आधान में किसका उपयोग होता है?
(क) व्यक्ति के स्वयं के संग्रहित रक्त का
(ख) अन्य व्यक्ति के संग्रहित रक्त का
(ग) भेड़ के संग्रहित रक्त का
(घ) क व ख दोनों
उत्तर ⇒ ????
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