Participation of people in conservation of natural resources in Hindi
- मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। स्वच्छ पर्यावरण की किसी भी समाज को अत्यन्त आवश्यकता है | स्वच्छ पर्यावरण के साथ मानव जीवन एवं स्वास्थ्य जुड़ा है। आज विकास विनाश का कारण बन गया है। जिससे पर्यावरण के सभी घटकों को भारी हानि पहुँची है | यद्यपि जल, वायु, भूमि सभी प्रदूषित हो चुके हैं, फिर भी मानव की अंसयमित एवं अविवेकशील विकास यात्रा सतत जारी है। उच्चतर मानव विकास एवं पर्यावरण संरक्षण के बीच सांमजस्य समाप्त हो गया है। पर्यावरणविद् निरन्तर सचेत कर रहे है कि इसी तरह प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया जाता रहा तो पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी में संतुलन को गंभीर संकट का सामना करना पड़ सकता है| इन सबके उपरान्त भी कुछ इस प्रकार के सफल प्रयोग एवं जन आन्दोलन चल रहे है, जो पर्यावरण एवं पारिस्थिकी तंत्र में संतुलन बनाएं रखने में अपनी भूमिका निभा रहे है।
Participation of people in conservation of natural resources in Hindi
चिपको आन्दोलन (Chipko movement)
- चिपको आन्दोलन वनों की सुरक्षा की दिशा में उठाया गया एक प्रगतिशील कदम है। इसका मुख्य उद्देश्य वनों की ठेकेदारों से सुरक्षा करना एवं वृक्षों को काटनें से रोकना है | इस आन्दोलन की शुरुआत राजस्थान के जोधपुर जिले के खेजड़ली गांव से हुई जहां अमृता देवी के साथ 363 बिश्नोई स्त्री, पुरुष एवं बच्चों ने अपना बलिदान दिया ।
- 1730 AD में जोधपुर के तत्कालीन महाराजा के महल निर्माण हेतु लकड़ियों की आवश्यकता हुई तो उनके सेवक कुल्हाड़ी लेकर खेजड़ली गाँव पहुँच गए और खेजड़ी के वृक्षों को काटना शुरु कर दिया जिसकी आवाज सुनकर अमृता देवी और उनकी तीन पुत्रियाँ वहां आ गई और विनम्रता से सिपाहियों से पेड़ न काटनें का आग्रह किया, परन्तु सिपाही नही मानें तब अमृता देवी और उनकी पुत्रियाँ पेड़ों से चिपक गयी | सिपाहियों ने पेड़ो के साथ उन्हें भी काट दिया | सारे गाँव और आस-पास के इलाके में खबर आग की तरह फैल गयी | लोग आ-आ कर पेड़ो से चिपकते रहे और अपना बलिदान देते रहे इस प्रकार वृक्षों की रक्षा हेतु 363 लोगो ने अपना बलिदान दिया। आज भी विश्नोई समाज पेड़ पौधो व वन्य प्राणियों के संरक्षण हेतु दृढ़ संकल्प है | खेजड़ली के बलिदान के बाद 1973 में उतराखण्ड में महिलाओं ने वृक्षों की सुरक्षा हेतु “चिपको आन्दोलन” चलाया | यह आन्दोलन 8 वर्षों तक चला जिससे सरकार ने 1981 में 1000 मीटर से ऊँचाई वाले क्षेत्रों में हरे पेड़ो की कटाई पर प्रतिबंध लगा दिया | खेजड़ली बलिदान के बाद चिपको आन्दोलन को सुन्दरलाल लाल बहुगुणा ने आगे बढाया | इसी प्रकार का आन्दोलन कर्नाटक में भी चला जिसका नाम “एप्पिको” था। एप्पिको कन्नड़ भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है चिपकना |
- खेजड़ली का बलिदान आज वनों की सुरक्षा के लिए आदर्श है | खेजड़ी के वृक्ष आज भी बलिदान की याद दिलाते हैं एवं प्रेरणा प्रदान करते हैं | खेजड़ी को थार का कल्पवृक्ष माना जाता है | इसका वैज्ञानिक नाम प्रोसोपिस सिनेरेरिया है । 983 में खेजड़ी को राजस्थान का राज्य वृक्ष घोषित किया गया।
Participation of people in conservation of natural resources in Hindi FAQs-
प्रश्न 1. खेजड़ली के बलिदान से सबंधित है
(क) बाबा आमटे
(ख) सुन्दरलाल बहुगुणा
(ग) अरुन्धती राय
(घ) अमृता देवी
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प्रश्न 2. भू-जल संकट के कारण हैं
(क) जल-स्रोतों का प्रदूषण
(ख) भू-जल का अतिदोहन
(ग) जल की अधिक मांग
(घ) उपरोक्त सभी
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प्रश्न 3. लाल आंकड़ों की पुस्तक सम्बन्धित है
(क) संकटग्रस्त वन्य जीवों से
(ख) दुर्लभ वन्य जीवों से
(ग) विलुप्त जातियों से
(घ) उपरोक्त सभी
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प्रश्न 4. सरिस्का अभयारण्य स्थित है
(क) अलवर में
(ख) जोधपुर में
(ग) जयपुर में
(घ) अजमेर में
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प्रश्न 5. सर्वाधिक कार्बन की मात्रा उपस्थित होती है
(क) पीट में
(ख) लिग्नाइट में
(ग) एन्थेसाइट में
(घ) बिटुमिनस में
उत्तर ⇒ ???????
प्रश्न 1. संकटापन्न जातियों से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- वे जातियाँ जिनके संरक्षण के उपाय नहीं किये गये तो निकट भविष्य में समाप्त हो जायेंगी।
प्रश्न 2. राष्ट्रीय उद्यान क्या है?
उत्तर- राष्ट्रीय उद्यान वे प्राकृतिक क्षेत्र हैं, जहाँ पर पर्यावरण के साथ-साथ वन्य जीवों एवं प्राकृतिक अवशेषों का संरक्षण किया जाता है।
प्रश्न 3. सिंचाई की विधियों के नाम बताइये।
उत्तर- सिंचाई फव्वारा विधि व टपकन विधि से की जाती है।
प्रश्न 4. उड़न गिलहरी किस वन्य जीव अभयारण्य में पायी जाती है?
उत्तर- सीतामाता तथा प्रतापगढ़ अभयारण्य
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