prakash kya hai
- प्रकाश – हमें अंधेरे कमरे में रखी वस्तुएँ दिखाई नहीं देतीं। परन्तु जब कोई मोमबत्ती अथवा बिजली का बल्ब कमरे में जलाते हैं तो वस्तुएँ दिखाई देने लगती हैं। वास्तव में मोमबत्ती की ज्वाला अथवा बल्ब के तन्तु से उत्सर्जित विकिरण वस्तुओं पर गिरता है तथा वस्तुओं से वापस लौटकर हमारी आँख में प्रवेश करता है और हमें वस्तुएँ दिखाई देने लगती हैं। इस विकिरण को जो कि हमारी आँखों को संवेदित करता है ‘प्रकाश‘ कहते हैं।
- हम दिन में अपने चारों तरफ विभिन्न रंगों की वस्तुओं को देखते हैं लेकिन अंधेरे कमरे में या रात के समय हम आसानी से वस्तुओं को देख नहीं पाते हैं | यदि रात के समय हम बल्ब जलाएं तो हमें वस्तुएं दिखाई देने लगती हैं | पृथ्वी पर प्रकाश का मुख्य स्रोत सूर्य है । जब प्रकाश किसी वस्तु पर गिरता है तो वह वस्तु प्रकाश के कुछ रंगों को अवशोषित कर लेती है एवं कुछ रंगों को परावर्तित कर देती है | जब यह परावर्तित प्रकाश हमारे नेत्रों पर आता है तो नेत्र में उसका प्रतिबिम्ब रेटिना पर बनता है | रेटिना से संवेदना मस्तिष्क तक पहुंचती है एवं हम वस्तु व उसका रंग देख पाते हैं । कोई वस्तु हमे लाल दिखाई देती है क्योंकि उस पर गिरने वाले प्रकाश के लाल रंग की किरणों को वह वस्तु परावर्तित कर देती है। जब प्रकाश किसी वस्तु के आर पार निकल जाता है तो वह हमें पारदर्शी दिखाई देती है। जब कोई वस्तु सभी रंगों को अवशोषित कर लेती है तो वह काली दिखाई पड़ती है एवं जब वह सभी रंगों को परावर्तित कर देती है तो वह सफेद दिखाई देती है|
- प्रकाश हमें सरल रेखा में गमन करता हुआ प्रतीत होता है किन्तु प्रकाश सदैव सरल रेखीय पथ में गमन नहीं करता है | जब प्रकाश बहुत छोटे (तरंगदैर्ध्य की कोटि के) अवरोधों से गुजरता है तो प्रकाश किनारों से मुड़ जाता है। अध्यारोपण व विवर्तन जैसे घटनाओं को समझने के लिये प्रकाश के तरंग स्वरूप की सहायता ली जाती है। लेकिन तरंग स्वरूप से प्रकाश विद्युत्त प्रभाव एवं प्रकाश की द्रव्य से अन्योन्य क्रिया की व्याख्या नहीं की जा सकी। इन प्रभावों को प्रकाश के कण स्वरूप द्वारा समझा जा सका | वैज्ञानिक डी-ब्रोगली ने प्रकाश के ह्ैत सिद्धान्त सद्धान्त को प्रस्तावित स्तावित किया जिसके अनुसार प्रकाश कण व तरंग दोनों प्रकार व्यवहार करता है | वर्तमान में प्रकाश के इस कण-तरंग द्वैतवाद को क्वांटम यांत्रिकी में तरंग-पैकेट (Wave – packet) द्वारा निरूपित किया जाता है। इसके अनुसार प्रकाश फोटॉन कभी तरंग एवं कभी कण की भांति व्यवहार करते हैं |
प्रकाश क्या है ? prakash kya hai
- सामान्य जीवन में हम देखते हैं कि जब प्रकाश किसी अपाददर्शी वस्तु पर आपतित होता (गिरता) है तो वस्तु की छाया हमें दिखाई देती है। यह प्रकाश की किरणों के सरल रेखीय पथ की वजह से होता है। एक प्रकाश स्त्रोत से किरणें सभी दिशाओं में संचरित होती हैं लेकिन प्रयोगशाला में हम प्रकाश की किरणों को किसी विशेष दिशा में सीमित करते हैं ताकि प्रयोग सुगमता से हो सके | चित्रों में बहुधा प्रकाश किरणों को सरल रेखाओं से दर्शाते हैं लेकिन व्यावहारिक दृष्टि से एक किरण को प्राप्त करना प्रायः असम्भव है। इस अध्याय में हम प्रकाश के सरल रेखीय पथ का उपयोग करके परावर्तन व अपवर्तन की घटनाओं का अध्ययन करेंगे |
prakash kya hai FAQ –
1. निम्न में से कौनसे दर्पण में वृहद दृष्टि क्षेत्र दिखेगा
(क) समतल दर्पण
(ख) उत्तल दर्पण
(ग) अवतल दर्पण
(घ) परवलियक दर्पण
Click to show/hide
2. प्रकाश का वेग सर्वाधिक होगा
(क) पानी में
(ख) कांच में
(ग) निर्वात में
(घ) ग्लिसरीन में
Click to show/hide
3. किस प्रभाव के कारण टंकी के पेंदे पर रखा सिक्का थोड़ा ऊपर उठा हुआ दिखाई देता है
(क) अपवर्तन
(ख) परावर्तन
(ग) पूर्ण आन्तरिक परावर्तन
(घ) इनमें से कोई नहीं
Click to show/hide
4. यदि एक दर्पण की फोकस दूरी + 60 सेमी. है तो यह दर्पण होगा
(क) अवतल दर्पण
(ख) परवलिय दर्पण
(ग) समतल दर्पण
(घ) उत्तल दर्पण
Click to show/hide
5. एक समतल दर्पण की फोकस दूरी होगी
(क) 0
(ख) 1
(ग) अनन्त
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर ⇒ ???????
प्रश्न 1. जब कोई वस्तु प्रकाश के सभी रंगों को अवशोषित कर लेती है तो वह वस्तु हमें किस रंग की दिखाई देगी?
उत्तर- वह वस्तु हमें काली दिखाई पड़ती है।
प्रश्न 2. यदि हम समतल दर्पण में हमारा पूर्ण प्रतिबिम्ब देखना चाहें तो दर्पण की न्यूनतम लम्बाई कितनी होनी चाहिये ?
उत्तर- किसी व्यक्ति का पूरा प्रतिबिम्ब देखने के लिए उस व्यक्ति की लम्बाई की आधी लम्बाई का समतल दर्पण चाहिए।
प्रश्न 3. उत्तल दर्पण के कोई दो उपयोग लिखिये।
उत्तर-
- उत्तल दर्पण में बड़ी वस्तुओं के छोटे प्रतिबिम्ब प्राप्त करके सजावट के लिए उपयोग में लेते हैं।
- इनका उपयोग सामान्यतः वाहनों के पश्च दृश्य (wing) दर्पणों के रूप में किया जाता है।
प्रश्न 4. अवतल दर्पण के कोई दो उपयोग लिखिये।
उत्तर-
- बड़ी फोकस दूरी का अवतल दर्पण हजामत बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है, जिससे व्यक्ति के चेहरे का आभासी, बड़ा और सीधा प्रतिबिम्ब बनता है।
- अवतल दर्पण परावर्तक दूरदर्शी में काम में लेते हैं। इससे दूरदर्शी की विभेदन क्षमता में वृद्धि होती है।
प्रश्न 5. दर्पण सूत्र लिखिये।
उत्तर- ध्रुव से बिम्ब की दूरी u, ध्रुव से प्रतिबिम्ब की दूरी v एवं ध्रुव से फोकस दूरी f ये तीनों राशियाँ एक समीकरण द्वारा सम्बद्ध हैं जिसे दर्पण सूत्र कहा जाता है।