पृथ्वी की उत्पत्ति कैसे हुई है ?
पृथ्वी की उत्पत्ति कैसे हुई है ?
पृथ्वी की उत्पत्ति कैसे हुई है ? prithvi ki utpatti
- पृथ्वी की उत्पत्ति के संबंध में विभिन्न दर्शनिकों व वैज्ञानिकों ने अनेक परिकल्पनाएँ प्रस्तुत की है। इनमें से एक प्रारंभिक एवं लोकप्रिय मत जर्मन दार्शनिक इमैनुअल कान्ट (Immanuel Kant) का है। 1796 ई. मे गणितज्ञ लाप्लेस (Laplace) ने इसमें संशोधन प्रस्तुत किया जो नीहारिका परिकल्पना (Nebular hypothesis) के नाम से जाना जाता है । इस परिकल्पना के अनुसार ग्रहों के निर्माण धीमी गति से घूमते हुए पदार्थों के बादल से हुआ जो कि सूर्य की युवा अवस्था से संबद्ध थे। बाद में 1900 ई. में चेम्बरलेन और मोल्टन (Chamberlain & Moulton) ने कहा कि ब्रह्मांड में एक अन्य भ्रमणशील तारा सूर्य के नजदीक से गुजरा। इसके परिणाम स्वरूप तारे के गुरूत्वाकर्षण से सूर्य सतह से सिगार के आकार का कुछ पदार्थ निकलकर अलग हो गया । यह तारा जब सूर्य से दूर चला गया तो सूर्य सतह से बाहर निकला हुआ यह पदार्थ सूर्य के चारों तरफ घूमने लगा और यही धीरे-धीरे संघनित होकर ग्रहों के रूप में परिवर्तित हो गया। पहले सर जेम्स जींस (Sir James Jeans) और बाद में सर हॅरोल्ड जैफरी (Sir Harold Jeffrey) ने इस मत का समर्थन किया । यद्यपि कुछ समय बाद के तर्क सूर्य के साथ एक और साथी तारे के होने की बात मानते हैं। ये तर्क “द्वैतारक सिद्धांत” (Binary theories) के नाम से जाने जाते हैं। 1950 ई. में रूस के ऑटो शिमिड (Otto Schemid) व जर्मनी के कार्ल वाइजास्कर (Carl Welzascar) ने नीहारिका परिकल्पना (Nebular hypothesis) में कुछ संशोधन किया। उनके विचार से सूर्य एक सौर नीहारिका से घिरा हुआ था जो मुख्यतः हाइड्रोजन, हीलियम और धूलिकणों की बनी थी । इन कणों के घर्षण व टकराने (Collision) से एक चपटी तश्तरी की आकृति के बादल का निर्माण हुआ और अभिवृद्धि (Accretion) प्रक्रम द्वारा ही ग्रहों का निर्माण हुआ। इसके पश्चात्, वैज्ञानिकों ने पृथ्वी या अन्य ग्रहों की ही नहीं वरन् पूरे ब्रह्मांड की उत्पत्ति संबंधी समस्याओं को समझने का प्रयास किया ।
- पृथ्वी सौर परिवार में सूर्य से तीसरा, भौगोलिक एवं भूगर्भिक रूप से एक जीवन्त ग्रह है जहाँ अन्य ग्रहों की अपेक्षा जीवन का संगीत सुनाई व दिखाई देता है। इतने ब्रह्माण्ड में ऐसा नहीं हो सकता कि पृथ्वी के अतिरिक्त कर 1/6 जीवन न हो। लेकिन वर्तमान के वैज्ञानिक साक्ष्य एवं प्रमाण पृथ्वी पर ही जीवन होने के संकेत करते हैं । पृथ्वी पर जीवन सूर्य से एक निश्चित दूरी तथा आदर्श सौर्य ताप होने के कारण सम्भव हो पाया है। इस प्रकार की अवस्था को ‘गोल्डीलाक्स पेटी’ (Goldilocks Zone) के नाम से जाना जाता है । जिसमें सूर्य से एक निश्चित दूरी होने पर ग्रह पर जल द्रव्य अवस्था में पाया जाता है, जैसे पृथ्वी । इसी अवस्था वाले ग्रहों की खोज वैज्ञानिक कर रहे हैं, और कुछ ग्रह पृथ्वी जैसे वातावरण वाले प्राप्त भी हुए हैं जहाँ भविष्य में पृथ्वी जैसे जीवन का परिष्करण (Refinement) हो पायेगा, और मानव प्रजाति ‘बहु ग्रहीय प्रजाति’ बन जायेगी। वह दिन पृथ्वी एवं मानवता के लिए संक्रान्ति काल होगा ।
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Geography Questions And Answers in Hindi
प्रश्न 1. सूर्य से पृथ्वी की स्थिति है।
(अ) चौथे स्थान पर
(ब) दूसरे स्थान पर
(स) तीसरे स्थान पर
(द) पहले स्थान पर
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उत्तर ⇒ { (स) तीसरे स्थान पर }
प्रश्न 2. आन्तरिक ग्रहों की सही स्थिति होती है
(अ) बृहस्पति के पश्चात्
(ब) बृहस्पति से अरुण तक
(स) शनि से वरुण तक
(द) बुध से मंगल तक
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उत्तर ⇒ { (द) बुध से मंगल तक }
प्रश्न 3. पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह है
(अ) चन्द्रमा
(ब) टाइटन
(स) आर्यभट्ट
(द) चन्द्रयान
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उत्तर ⇒ { (अ) चन्द्रमा }
प्रश्न 4. प्रकाश की गति प्रति सैकण्ड होती हैं
(अ) 4 लाख किमी
(ब) 3 लाख किमी
(स) 3.6 लाख किमी
(द) 4.3 लाख किमी
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उत्तर ⇒ { (ब) 3 लाख किमी }
प्रश्न 5. पृथ्वी पर सर्वाधिक तापमान, घनत्व और दबाव पाया जाता है
(अ) पृथ्वी के धरातल के निकट
(ब) पृथ्वी के मध्य में
(स) पृथ्वी के ऊपर वायुमण्डल में
(द) पृथ्वी के केन्द्र पर
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उत्तर ⇒ { (द) पृथ्वी के केन्द्र पर }
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