राजस्थान के प्रमुख राजवंश ( चौहान राजवंश )
राजस्थान के प्रमुख राजवंश
Rajasthan ke Parmukh Rajvansh ( Chohan Rajvansh )
5. चौहान राजवश
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शाकम्भरी व अजमेर के चौहान
- चौहान वंश का मूल स्थान सांभर के निकट सपादलक्ष क्षेत्र को माना जाता है, इसकी प्रारम्भिक राजधानी अहिच्छत्रपुर (नागौर) थी। इस वंश का संस्थापक शासक वासुदेव प्रथम माना जाता है।
रणथम्भौर के चौहान
- रणथम्भौर में चौहान वंश के शासन की स्थापना गोविन्दराज ने की, जो पृथ्वीराज चौहान का पुत्र था।
- उसके उत्तराधिकारी वाल्हण, प्रल्हादन, वीर नारायण, बागभट्ट, जैत्रसिंह तथा हम्मीर थे।
नाडोल के चौहान
- चौहान वंश की नाडोल शाखा का संस्थापक लक्ष्मण चौहान था, जो शाकम्भरी नरेश वाक्पति का पुत्र था जिसने 960 ई. में चावड़ा राजपूतों के आधिपत्य को समाप्त करके नाडोल में चौहान वंश का साम्राज्य स्थापित किया।
- नाडौल नगर वर्तमान में पाली जिले में देसूरी के निकट स्थित है। यहाँ पर आशापुरा माताजी का मुख्य मंदिर (पाट स्थान) स्थित है। आशापुरा माता नाडोल के चौहानों की कुलदेवी मानी जाती है। जालोर के चौहान (सोनगरा चौहान)
- राजस्थान के दक्षिण-पश्चिम में स्थित जाबालि ऋषि की तपोभूमि जाबालिपुर (वर्तमान जालोर) में चौहान वंश (राजकुमार कीतू) की नींव नाडोल के शासक आल्हण के पुत्र कीर्तिपाल’ ने डाली।
सिरोही के चौहान (देवड़ा)
- सिरोही के देवड़ा चौहानों का संस्थापक लुम्बा माना जाता है, जो जालोर के सोनगरा चौहानों का वंशज था। लुम्बा ने 1311 ई. में आबू-चन्द्रावती के परमारों को पराजित करके चौहान राज्य की स्थापना की।
- लुम्बा के पश्चात् उसके पाँच उत्तराधिकारी क्रमश: तेजसिंह कान्हड़देव, सामन्तसिंह, सलखा एवं रायमल थे। इन सबकी राजधानी कभी चन्द्रावती तो कभी अचलगढ रही।
हाड़ौती के चौहान (हाड़ा)
- राजस्थान के दक्षिणी-पूर्वी भाग में स्थित हाड़ौती क्षेत्र का नामकरण चौहानों की हाड़ा शाखा के शासन के कारण हुआ है। प्राचीनकाल में इस समूचे क्षेत्र पर मीणा एवं भील सरदारों का आधिपत्य था। कोटा का नाम कोटिया भील एवं बूंदी का नामकरण बूंदा मीणा नामक सरदारों के नाम पर हुआ है। बूंदी का प्राचीन नाम ‘वृन्दावली’ मिलता है। (राणपुर शिलालेख एवं खजूरी शिलालेख, 1506 ई. के अनुसार)।
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