राजस्थान के प्रमुख राजवंश ( प्रतिहार राजवंश ) | ExamSector
राजस्थान के प्रमुख राजवंश ( प्रतिहार राजवंश )

राजस्थान के प्रमुख राजवंश

2. प्रतिहार राजवंश

  • राजस्थान में प्रतिहारों का सर्वप्रथम आगमन छठी शताब्दी के उत्तरार्द्ध में मारवाड़ क्षेत्र में हुआ। तत्कालीन गुर्जरत्रा राज्य की राजधानी चीनी यात्री ह्वेनसांग ने ‘पीलो मोलो’ (भीनमाल) बताई है।
  • प्रतिहारों का साम्राज्य गुर्जर क्षेत्र में होने के कारण ये लोग गुर्जर-प्रतिहार कहलाये, कई ऐतिहासिक स्रोतों में उन्हें ‘गुर्जरेश्वर’ भी कहा गया।
  • मुहणोत नैणसी ने प्रतिहारों की 26 शाखाओं का वर्णन अपने ग्रंथों में किया है। इनमें से मण्डोर, जालोर, राजोगढ़, कन्नौज, उज्जैन एवं भड़ौच के प्रतिहार प्रसिद्ध हुए।

मण्डोर के प्रतिहार

  • मण्डोर के प्रतिहारों के सम्बन्ध में जानकारी जोधपुर के शिलालेख (837 ई.) एवं घटियाला के शिलालेखों (861 ई.) से मिलती है।
  • इन शिलालेखों के अनुसार मण्डोर में हरिशचन्द्र (रोहिलद्धि) नामक ब्राह्मण की क्षत्रिय पत्नी भद्रावती से उत्पन्न चार पुत्रों भोगभट्ट, कदक, रजिल एवं दह ने माण्डव्यपुर (मंडोर) को जीतकर वहाँ महल का निर्माण करवाया। इन चारों में रजिल कुशल प्रशासक था, जिसके वंश ने मंडोर पर शासन किया।
  • रजिल का पौत्र नागभट्ट प्रतिहार इस वंश का-प्रथम प्रतापी शासक हआ, जिसने अपनी राजधानी मण्डोर से मेडता तथा अंत में जालोर स्थानान्तरित कर दी। नागभट्ट प्रतिहार ने जालोर में सर्वप्रथम एक लघु दुर्ग का निर्माण करवाया।
  • इसी वंश में शीलुक, कक्क, बाउक, कक्कुक, हरीशचन्द्र, दुर्लभराज एवं जसकरण नामक महत्त्वपूर्ण शासक हुए।
  • कक्कक ने घटियाले के शिलालेख (861 ई.) का उत्कीर्ण करवाया। इसके द्वारा मण्डोर एवं घटियाला में जयस्तम्भ स्थापित किये।
  • मण्डोर का दुर्ग इन्दा शाखा के प्रतिहारों ने राव वीरम के पुत्र चूँडा राठौड़ को 1395 ई. में दहेज में दिया।

जालोर के प्रतिहार

  • मण्डोर के प्रतिहारों में हुए प्रतापी शासक नागभट्ट प्रतिहार प्रथम ने अपनी अंतिम राजधानी जालोर में स्थापित की। नागभट्ट के साम्राज्य की सीमाएँ कच्छ की खाड़ी से लगाकर बंगाल की खाड़ी तक विस्तृत थी।
  • जालोर के प्रतिहारों ने सर्वप्रथम चावड़ों से भीनमाल छीना, तदनन्तर आबू चन्द्रावती, उज्जैन एवं कन्नौज को अपने साम्राज्य में मिलाया, ऐसी जानकारी मिलती है।
  • नागभट्ट का दूसरा नाम ‘नागावलोक’ भी मिलता है। (हांसोट का ताम्रपत्र, 265 ई.)
  • नागभट्ट के पश्चात वत्सराज प्रतिहारों में महत्त्वपूर्ण शासक हुआ, जिसके शासनकाल में उद्योतन सूरि नामक जैन मुनि ने ‘कुवलयमाला’ की रचना 778 ई. में जालोर में की।
  • वत्सराज की रानी सुंदरदेवी से हुए पुत्र नागभट्ट द्वितीय ने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया।

जोगढ़ के गुर्जर-प्रतिहार

  • अलवर क्षेत्र के राजोगढ़ से 960 ई. में प्राप्त एक शिलालेख के अनुसार यहाँ पर गुर्जर-प्रतिहार राजा सावट एवं उसके पुत्र मंथनदेव का उल्लेख मिलता है। ये लोग कन्नौज शाखा से माने जाते हैं।

इने भी जरूर पढ़े –

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Leave A Comment For Any Doubt And Question :-

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *