राजस्थान की नदियाँ ( Part :- 3 ) | ExamSector
राजस्थान की नदियाँ ( Part :- 3 )

Rivers of Rajasthan ( राजस्थान की प्रमुख नदियाँ )

Part = 3

अपवाह क्षेत्र के आधार पर राज्य की नदियों को तीन भागों में बाँटा जा सकता है—

  1. आन्तरिक अपवाह प्रणाली (60.2%)
  2. अरब सागरीय अपवाह प्रणाली (17.1%)
  3. बंगाल की खाड़ी की अपवाह प्रणाली (22.4%)

3. बंगाल की खाड़ी का अपवाह तंत्र

चम्बल नदी (चर्मण्वती/कामधेनु /सदावाहिनी/मालवगंगा)

  • चम्बल नदी महू (मध्यप्रदेश) जिले की जनापाव पहाड़ी से निकलती है।
  • जनापाव पहाड़ी से निकलकर यह नदी भैंसरोड़गढ़ (चित्तौड़) के समीप राजस्थान में प्रवेश करके चित्तौड़गढ़, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, करौली एवं धौलपुर छः जिलों में बहते हुए उत्तर प्रदेश में प्रवेश करके कुल 966 किमी. बहकर मुरादगंज (इटावा-उत्तरप्रदेश) के निकट यमुना में मिल जाती है। राज्य में इसकी लम्बाई 153 किमी. है।
  • महर्षि परशुराम की तपोस्थली रामेश्वर धाम (सवाईमाधोपुर) में इसमें आकर बनास व सीप नदियाँ मिलती हैं, जो त्रिवेणी संगम ‘ कहलाता है।
  • भैंसरोड़गढ़ के निकट चम्बल नदी चूलिया जल प्रपात (ऊँचाई 18 मी.) बनाती है।
  • चम्बल राजस्थान की सबसे लम्बी, सबसे बड़े अपवाह क्षेत्र वाली एवं एकमात्र नित्यवाही नदी है। राजस्थान में सर्वाधिक सतही जल ले जाने वाली नदी यही है।
  • चम्बल नदी सर्वप्रथम कोटा एवं बूंदी तथा तत्पश्चात कोटा एवं सवाई माधोपुर जिलों के मध्य सीमा बनाती है।
  • राजस्थान एवं म.प्र. की सीमा पर चम्बल का प्रवाह क्षेत्र ‘बीहड़ भूमि है, जो उत्खात स्थलाकृति’ (Bad land Topography) होने से कृषि के लिए अनुपयुक्त है। सदियों से यह क्षेत्र असामाजिक गतिविधियों के लिए चर्चित रहा है।
  • चम्बल पर कुल चार बाँध बनाये गये हैं-गांधी सागर बांध (मंदसौर-म.प्र.), राणा प्रतापसागर बाँध (चित्तौड़गढ़), जवाहर सागर बाँध (कोटा) एवं कोटा बैराज (कोटा)।
  • उपरोक्त बाँधों में गांधी सागर की भराव क्षमता सर्वाधिक है।
  • राजस्थान में चम्बल पर बना सबसे बड़ा बाँध राणा प्रताप सागर है। (राज्य में सर्वाधिक जल भण्डारण क्षमता वाला बाँध)
  • चम्बल नदी राजस्थान एवं मध्यप्रदेश के बीच 241 कि.मी. तक सीमा का निर्धारण करती है। इस सीमा पर राज्य के सवाईमाधोपुर, करौली एवं धौलपुर जिले स्थित हैं। यह भारत में सबसे लम्बी अन्तर्राज्यीय नदी जल सीमा रेखा हैं !
  • राज्य में सबसे अधिक अवनालिका अपरदन यहीं पर हुआ है, फलस्वरूप यहाँ ‘बीहड़ भूमि बन गई हैं।
  • चम्बल के बीहड़ों एवं आसपास के क्षेत्र को राजस्थान में ‘डांग क्षेत्र’ कहा जाता है।
  • बनास, पार्वती, कालीसिंध, बामनी, कुराल एवं मेज चम्बल की प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।

चम्बल की सहायक नदियाँ एवं संगम स्थल—

  • बामनी : भैंसरोड़गढ़ (चित्तौड़गढ़)
    कालीसिंध : नानेरा (कोटा)
    पार्वती : पाली (सवाईमाधोपुर)
    नेवज : मवासा (झालावाड़)
    बनास : रामेश्वर (सवाई माधोपुर)

पार्वती नदी

  • यह नदी मध्यप्रदेश की विंध्याचल पर्वतमाला के उत्तरी पार्श्व में स्थित सिहोर (म.प्र.) से निकलकर करैयाहट (बाराँ) के समीप राजस्थान में प्रवेश करती है।
  • यह नदी बारां एवं कोटा जिलों की मध्यप्रदेश के साथ सीमा बनाते हुए अन्त में पाली गाँव (सवाईमाधोपुर) के निकट चम्बल में मिल जाती है।
  • कूल इसकी महत्त्वपूर्ण सहायक नदी है। लासी, बरनी, बैंथली रेतड़ी, डूबराज, विलास आदि इसकी अन्य सहायक नदियाँ हैं।

कुनू (कुनोर) नदी

  • यह मध्यप्रदेश में गुना से निकलकर बारां जिले के मुसेरी गाँव से राजस्थान में प्रवेश करती है।
  • बारां जिले को पार करके पुनः मध्यप्रदेश में बहती है तथा करौली की सीमा पर चंबल से मिल जाती है।

बामनी नदी

  • हरिपुरा (चित्तौड़गढ़) की पहाड़ियों से निकलकर भैंसरोड़गढ़ के निकट चंबल में मिल जाती है, जहाँ पर भैंसरोड़गढ़ (राजस्थान का वैल्लोर) का जलदुर्ग स्थित है।

कालीसिंध नदी

  • बागली गाँव (देवास-मध्यप्रदेश) से निकलकर बारे गाँव (झालावाड़) के समीप राज्य में प्रवेश करती है।
  • ‘गागरोनगढ़ के निकट इसमें आहु मिल जाती है तथा राजगढ़ (कोटा) के समीप दम परवन नदी भी मिल जाती है।
  • यह नदी कुल 278 किमी. की दूरी तय करने के बाद नानेरा (कोटा) के समीप चम्बल में मिल जाती है। राजस्थान में यह 145 किमी. बहती है।
  • कालीसिंध नदी सर्वप्रथम झालावाड़ एवं कोटा तत्पश्चात् कोटा एवं बाएँ जिलों की प्राकृतिक सीमा बनाती है।
  • आहु, परवन, निमाज एवं धार इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।

आह नदी

  • सुसनेर (मध्यप्रदेश) से निकलकर नन्दपुर (झालावाड़) के समीप राजस्थान में प्रवेश करती है। कोटा एवं झालावाड़ जिलों की सीमा बनाते हुए यह नदी गागरोनगढ़ (झालावाड़) के समीप कालीसिंध में मिल जाती है।
  • गागरोनगढ़ (झालावाड़) का प्रसिद्ध जलदुर्ग कालीसिंध एवं आहु नदियों के संगम पर स्थित है।

नेवज नदी (निमाज)

  • मालवा के पठार में राजगढ़ जिले (म.प्र.) से निकलकर कोलूखेड़ी (झालावाड़) के समीप राजस्थान में प्रवेश करके मवासा (झालावाड़) के निकट ‘परवन नदी में मिल जाती है।

आलनिया नदी

  • यह कोटा में ‘मुकुन्दवाड़ा की पहाड़ियों से निकलकर नोटाना गाँव में चंबल में मिलती है।

चाकण नदी

  • यह नदी बूंदी जिले में कई छोटे छोटे नालों से मिलकर बनी है, जो सवाई माधोपुर के करनपुरा गाँव में चम्बल में मिल जाती है। नैनवा (बूंदी) में इस पर चाकण बांध बना हुआ है।

परवन नदी

  • मध्यप्रदेश से निकलकर राजस्थान में झालावाड़, कोटा एवं बाएँ जिलों में बहते हुए पलायता (बाराँ) के निकट ‘कालीसिंध में मिल जाती है। बाएँ जिले में इस नदी पर शेरगढ़ अभयारण्य स्थित है। नेवज, कालीखाड, धार एवं छापी इसकी सहायक नदियाँ हैं।
  • परवन एवं कालीखाड के संगम पर मनोहर थाना (झालावाड़) का जल दुर्ग स्थित है।

मेज नदी

  • बिजोलिया (भीलवाड़ा) से निकलकर कोटा-बूंदी की सीमा के निकट ‘चम्बल’ में मिल जाती है।
  • बाजन, मांगली (बूंदी जिले में प्रसिद्ध भीमलत जलप्रपात) एवं घोड़ा-पछाड़ इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।

कुराल नदी

  • ऊपरमाल के पठार (भीलवाड़ा) से निकलकर बूंदी जिले में चम्बल में मिल जाती है।

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