सजीव एवं निर्जीव-परिचय (sanjiv or nirjiv kya hai in hindi)
सजीव एवं निर्जीव-परिचय (sanjiv or nirjiv kya hai in hindi)
sanjiv or nirjiv kya hai in hindi
- वे जीव जिनमें श्वसन, गति, वृद्धि, जनन, पोषण आदि क्रियाएँ पायी जाती है सजीव होते हैं जैसे- गाय, बकरी, ऊँट, शेर, बरगद, पौधे आदि तथा जिनमें उपर्युक्त क्रियाएँ नहीं पायी जाती हैं निर्जीव होते हैं जैसे- बस्ता, पेन, पेंसिल, रबड़, मेज, कुर्सी आदि।
- जीव-जन्तु एवं पेड़-पौधे वृद्धि, गति, श्वसन, पोषण, जनन, उत्सर्जन आदि लक्षण दर्शाते हैं, अत: इन्हें सजीव कहते हैं।
- सजीव : समस्त पादप, जन्तु एवं सूक्ष्म जीव।
- निर्जीवः समस्त पादपों, जन्तुओं एवं सूक्ष्म जीवों के अतिरिक्त अन्य वस्तुएँ।
सजीवों के लक्षण
- (i) सजीव भोजन ग्रहण करते हैं।
- (ii) सजीव वृद्धि करते हैं।
- (iii) सजीव श्वसन करते हैं।
- (iv) सजीव स्वयं गति करते हैं।
- (v) सजीव संवेदनशील होते हैं तथा उद्दीपनों के प्रति अनुक्रिया करते हैं।
- (vi) सजीवों में उत्सर्जन क्रिया होती
- (vii) सजीवों में प्रजनन क्रिया होती है।
- (vii) सजीवों का जीवनकाल निश्चित होता है।
- सजीव श्वसन के दौरान ऑक्सीजन गैस ग्रहण करते हैं तथा कार्बन डाइऑक्साइड गैस बाहर निकालते हैं।
- शरीर में ऑक्सीजन द्वारा ग्लूकोज के विघटन से जैविक ऊर्जा का निर्मुक्त होना श्वसन कहलाता है। इस क्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड गैस निकलती है।
- सजीवों द्वारा अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने की क्रिया को उत्सर्जन कहते हैं।
विषाणु :-
- विषाणु सजीव एवं निर्जीव के बीच की योजक कड़ी है। ये स्वतंत्र अवस्था में निर्जीव पड़े रहते हैं। ये सजीवों में प्रवेश करते ही सजीवों के समान वृद्धि (गुणन) आदि लक्षण प्रकट करने लगते हैं। ये पादपों एवं जन्तुओं में अनेक प्रकार के रोगों के कारक है।
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