संतुलित व असंतुलित भोजन (Santulit V Asantulit Bhojan)
संतुलित व असंतुलित भोजन (Balanced and unbalanced food)
Santulit V Asantulit Bhojan
- हमारे देश में कुपोषण का एक बड़ा कारण लोगों को सभी पोषक तत्वों से युक्त संतुलित भोजन पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलना है। मगर कई उदाहरण ऐसे भी आते है कि बुरी आदतों के कारण संतुलित भोजन का उचित उपयोग नहीं हो पाता और व्यक्ति कुपोषण के लक्षण प्रदर्शित करने लगता है । कुपोषण का प्रभाव शारीरिक एवं मानसिक दोनों प्रकार की दुर्बलताओं के रुप में प्रकट होता है। यहाँ हम कुपोषण के कुछ प्रमुख प्रभावों की चर्चा करेंगे।
1 विटामिन कुपोषण (Vitamin malnutrition)
- विटामिन भोजन का सूक्ष्म भाग होते हैं मगर कार्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण होते हैं किसी एक या अधिक विटामिन की कमी होने पर उसके लक्षण स्पष्ट नजर आते हैं । निम्न तालिका में प्रमुख विटामिन की कमी से होने वाले रोग तथा उनके लक्षण दिए जा रहे हैं।
2 प्रोटीन कुपोषण (Protein malnutrition)
- गरीबी के कारण लोग भोजन में प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में सम्मिलित नही कर पाते है और कुपोषण का शिकार हो जाते है ।
- मुख्यतः छोटे बच्चे इससे प्रभावित होते है, गर्भवती महिलाओं और किशोरावस्था में प्रोटीन आवश्यक पोषक है। प्रोटीन की कमी से क्वाशिओरकोर ( Kwashiorkor) रोग हो जाता है
- बच्चे का पेट फूल जाता है, उसे भूख कम लगती है, स्वभाव चिड़-चिडा हो जाता है, त्वचा पीली, शुष्क, काली, धब्बेदार होकर फटने लगती है। जब प्रोटीन के साथ पोषण में पर्याप्त ऊर्जा की कमी होती है तो शरीर सूख कर दुर्बल हो जाता है आँखे कांतिहीन एवम् अन्दर धँस जाती है इस स्थिति को मेरस्मस रोग (Marasmus) कहते है ।
3 खनिज कुपोषण (Mineral malnutrition )
- विभिन्न प्रकार के खनिज भी शरीर संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है तथा इनकी कमी से शरीर में कई प्रकार के विकार उत्पन्न हो जाते हैं। लौह तत्व रुधिर के हिमोग्लोबिन का भाग होता है इसकी कमी से रक्त हीनता के कारण चेहरा पीला पड़ जाता है, कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है इसकी कमी से हडिड्याँ कमजोर व भंगुर प्रकृति की हो जाती है, आयोडीन की कमी से थायराइड ग्रंथि की क्रिया मंद पड़ जाती है, गलगंड (घेंघा) रोग हो जाता है।
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