Schedules of Indian Constitution | By – Exam Sector
भारतीय संविधान की अनुसूचियाँ ( Schedules of Indian Constitution )
संविधान की प्रथम अनुसूची-
- इसमें भारत के सभी 28 राज्यों और 9 केन्द्र शासित प्रदेशों के नाम और उनकी राजधानियों के नाम लिखें !
संविधान की द्वितीय अनुसूची:-
- इसमें भारतीय राज व्यवस्था के विभिन्न पदाधिकारियों (राष्ट्रपति, राज्यपाल, लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति एवं उपसभापति, विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, विधान परिषद के सभापति एवं उपसभापति, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश और भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक आदि) को प्राप्त होने वाले वेतन, भत्ते और पेंशन आदि का उल्लेख किया गया है।
संविधान की तृतीय अनुसूची-
- इसमें विभिन्न पदाधिकारियों (राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, राज्यपाल को छोड़कर) द्वारा पद ग्रहण के समय ली जाने वाली शपथ का उल्लेख है।
संविधान की चौथी अनुसूची-
- इसमें विभिन्न राज्यों तथा संघीय क्षेत्रों की राज्यसभा में प्रतिनिधित्व का विवरण दिया गया है।
संविधान की पाँचवी अनुसूची-
- इसमें विभिन्न अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजाति के प्रशासन और नियंत्रण के बारें में उल्लेख है।
संविधान की छठी अनुसूची-
- इसमें असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजाति क्षेत्रों के बारें में प्रावधान है।
संविधान की सातवी अनुसूची-
- इसमें केन्द्र एवं राज्यों के बीच शक्तियों के बंटवारे के बारे में दिया गया है। इसके अंतर्गत तीन सूचियाँ है। संघ सची, राज्य सूची एवं समवर्ती सूची।
संघ सूची-
- इस सूची में दिये गये विषय पर केन्द्र सरकार कानून बनाती है। संविधान के लागू होने के समय इसमें 99 विषय थे। वर्तमान में इसमें 97(A) विषय है।
राज्य सूची-
- इस सूची में दिये गये विषय पर राज्य सरकार कानून बनाती है। राष्ट्रीय हित से संबंधित होने पर केन्द्र सरकार कानून बनाती है। राष्ट्रीय हित से संबधित होने पर केन्द्र सरकार भी कानून बना सकती है। संविधान के लागू होने के समय इसके अंतर्गत 66 विषय थे, वर्तमान समय में इसमें 62 विषय है।
समवर्ती सूची-
- इसके अंतर्गत दिये गये विषय पर केन्द्र एवं राज्य दोनों सरकारें कानून बना सकती है। परन्तु कानून के विषय में विवाद होने पर केन्द्र सरकार द्वारा बनाया गया कानून ही मान्य होता है। राज्य सरकार द्वारा बनाया गया कानून केन्द्र सरकार के कानून बनाने के साथ ही समाप्त हो जाता है। संविधान के लागू होने के समय समवर्ती सूची में 47 विषय थे।- वर्तमान में इसमें 52 विषय है।
नोट- समवर्ती सूची का प्रावधान जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में नहीं है।
संविधान की आठवीं अनुसूची-
- इसमें भारत की 22 भाषाओं उल्लेख किया गया है। मूल रूप से आठवीं अनुसूची में 14 भाषाएं थी, 1967 ई. में सिंधी को और 1992 में कोंकणी, मणिपुरी तथा नेपाली को आठवी अनुसूची में शामिल किया गया। 2004 ई. में मैथिली, संथाली, डोगरी एवं बोडो को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया।
संविधान की नौवी अनुसूची-
- संविधान में यह अनुसूची प्रथम संविधान संशोधन अधिनियम, 1951 के द्वारा जोड़ी गई। इसके अंतर्गत राज्य द्वारा सम्पति के अधिग्रहण की विधियों का उल्लेख किया गया है। इस अनुसूची में सम्मिलित विषयों को न्यायालय में चुनौती नही दी जा सकती है। वर्तमान में इस अनुसूची में 284 अधिनियम है।।
- नोट- अब तक यह मान्यता थी कि संविधान की नौवी अनुसूची में सम्मिलित कानूनों की न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती। 11 जनवरी, 2007 के संविधान पीठ के एक निर्णय द्वारा यह स्थापित किया गया है कि नौवी अनुसूची में सम्मिलित किसी भी कानून को इस आधार पर चुनौती दी जा सकती है कि वह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है तथा उच्चतम न्यायालय इन कानूनों की समीक्षा कर सकता है।
संविधान की दसवीं अनुसूची-
- यह संविधान में 52 वें संशोधन, 1985 के द्वारा जोड़ी गई है। इसमें दल बदल से संबंधित प्रावधानों का उल्लेख है।
संविधान की ग्यारवीं अनसची-
- यह अनुसूची संविधान में 73 वें संवैधानिक संशोधन (1992) के द्वारा जोड़ी गई है। इसमें पंचायतीराज संस्थाओं को कार्य करने के लिये 29 विषय प्रदान किए गए है।
संविधान की बाहरवीं अनुसूची-
- यह अनुसूची संविधान में 74 वें संवैधानिक संशोधन (1993) के द्वारा जोड़ी गई है। इसमें शहरी क्षेत्र की स्थानीय स्वशासन संस्थाओं का कार्य करने के लिये 18 विषय । प्रदान किये गये है।
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