ध्वनि प्रदूषण | कारण | प्रभाव | उपाय | परिभाषा
ध्वनि प्रदूषण | कारण | प्रभाव | उपाय | परिभाषा (Sound pollution notes in hindi )
Sound pollution notes in hindi
ध्वनि प्रदूषण (Sound pollution): वातावरण में चारों ओर फैली अनिच्छित या अवांछनीय ध्वनि को ध्वनि प्रदूषण कहते हैं।
ध्वनि प्रदूषण के स्रोत :
- ध्वनि प्रदूषण का स्रोत शोर (Loudness) ही है, चाहे वह किसी भी तरह से पैदा हुई हो। कूलर, स्कूटर, रेडियो, टी० वी०, कार, बस, ट्रेन, रॉकेट, घरेलू उपकरण, वायुयान, लाउडस्पीकर, वाशिंग मशीन, स्टीरियों, तोप, टैंक तथा दूसरे सुरक्षात्मक उपकरणों के अलावा सभी प्रकार की आवाज करने वाले साधन, कारक या उपकरण ध्वनि प्रदूषण के स्रोत हैं।
ध्वनि प्रदूषण के हानिकारक प्रभाव :–
- (a) सतत् शोर होने के कारण सुनने की क्षमता कम हो जाती है तथा आदमी के बहरा होने की संभावना बढ़ जाती है।
- (b) इसके कारण थकान, सिरदर्द, अनिद्रा आदि रोग होते हैं।
- (c) शोर के कारण रक्त दाब बढ़ता है तथा हृदय की धड़कन बढ़ जाती है।
- (d) इसके कारण धमनियों में कोलेस्ट्रोल का जमाव बढ़ता है, जिसके कारण रक्तचाप बढ़ता है।
- (e) इसके कारण क्रोध तथा स्वभाव में उत्तेजना पैदा होती है।
- (f) शोर में लगातार रहने पर बुढ़ापा जल्दी आता है।
- (g) अत्यधिक शोर के कारण एड्रीनल हार्मोनों का स्राव अधिक होता है।
- (h) हमेशा शोर में रहने पर जनन क्षमता भी प्रभावित होती है।
- (i) इसके कारण उपापचयी क्रियाएँ प्रभावित होती हैं।
- (j) इसके कारण संवेदी तथा तंत्रिका तंत्र कमजोर हो जाता है।
नोट : सामान्य वार्तालाप का शोर मूल्य 60 डेसीबल होता है जबकि अंतर्राष्ट्रीय मानक के अनुसार ध्वनि 45 डेसीबल होनी चाहिए।
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