वायुमंडल किसे कहते हैं ? वायुमण्डल का महत्व और संघटन
vayumandal kise kahate hain
वायुमण्डल का परिचयः
- पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए वायु के विस्तृत आवरण को वायुमण्डल कहते हैं । वायु का यह आवरण एक लिफाफे के रूप में है, जो पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण के कारण इसका एक अभिन्न अंग बन गया है। इस वायु का न कोई रंग है, न स्वाद तथा न ही गंध है। पवन के संचार से ही हम वायु को ‘अनुभव कर सकते हैं ।
- पृथ्वी के गैसीय आवरण को वायुमण्डल कहा जाता है, जिसकी ऊँचाई हजारों किलोमीटर है। पृथ्वी से वायुमण्डल को स्थल मण्डल तथा जल मण्डल की तरह अलग नहीं किया जा सकता। वायुमण्डल में अनेक गैसें व्याप्त है। कोई भी व्यक्ति या जीव बिना वायु के जीवित नहीं रह सकता । वायु संसार के सभी प्राणियों के जीवन का आधार है।
- फिन्च एवं ट्रिवार्था के अनुसार ” वायुमण्डल गैसों का आवरण है जो धरातल से सैंकड़ों मील की ऊँचाई तक विस्तृत है तथा पृथ्वी का अभिन्न अंग है” ।
- माँक हाऊस के अनुसार, “वायुमण्डल गैस की एक पतली परत है जो गुरूत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी के साथ जुड़ी हुई है ।”
वायुमण्डल का महत्वः
- वायुमण्डल में ऑक्सीजन, नाईट्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन तथा अनेक उपयोगी गैसें पायी जाती हैं। वायुमण्डल के आवरण के कारण ही पराबैंगनी किरणों के हानिकारक प्रभाव से हमारी रक्षा हो पाती है । शायद यही कारण है कि मानव जाति के इतिहास के शुरू से ही वायुमण्डल हम सबके लिए कौतुहल का विषय रहा है। वायुमण्डल में निहित तापमान व आर्द्रता मानव जीवन को प्रभावित करती है । यह हमारे लिए तरह-तरह के प्राकृतिक दृश्य उपस्थित करता है तथा इसकी रचना हमें जीवित रखती है।
वायुमण्डल का संघटन (Composition of Atmosphere)
- वायुमण्डल कई गैसों का मिश्रण है। गैसों के अलावा वायुमण्डल में जलवाष्प तथा धूलकण भी पाये जाते है। वायुमण्डल में मुख्य रूप से 9 प्रकार की गैसें पाई जाती है, जिनमें ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, ऑर्गेन, कार्बनडाइऑक्साइड, हाइड्रोजन, हीलियम, नियॉन, क्रिप्टान तथा ओजोन प्रमुख है । इन सभी गैसों में नाइट्रोजन एवं ऑक्सीजन महत्वपूर्ण है ।
- वायुमण्डल में सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं समस्त प्राणियों के लिये अनिवार्य गैस ऑक्सीजन है । धरातल का कोई भी प्राणी इसके बिना जीवित नहीं रह सकता । वायुमण्डल में सर्वाधिक मात्रा 78.8 प्रतिशत नाइट्रोजन गैस की है। दूसरे स्थान पर ऑक्सीजन 20.95 प्रतिशत है। इस प्रकार ये दोनों गैसें वायुमण्डल के लगभग 99 प्रतिशत आयतन घेरे हुए हैं ।
कुछ महत्वपूर्ण गैसों की विशेषताऐं:
1. नाइट्रोजन –
- वायुमण्डल में सर्वाधिक मात्रा में मौजूद गैस है। नाइट्रोजन की उपस्थिति के कारण ही वायुदाब, पवनों की शक्ति तथा प्रकाश के परावर्तन का आभास होता है । इस गैस का कोई रंग, गंध या स्वाद नहीं होता है । यह गैस वस्तुओं को तेजी से जलने से बचाती है। इस गैस से पेड़ पौधों में प्रोटीन का निर्माण होता है जो भोजन का मुख्य अंग है। यदि वायुमण्डल में नाइट्रोजन गैस न होती तो आग पर नियंत्रण रखना कठिन हो जाता । यह सम्पूर्ण प्रक्रिया ‘नाईट्रोजन चक्र’ कहलाती है।
2. ऑक्सीजन –
- यह जीवनदायिनी गैस मानी गई है। ऑक्सीजन गैस अन्य रासायनिक तत्वों के साथ सरलता से मिलकर अनेक प्रकार के यौगिकों का निर्माण करती है । वस्तुओं के जलने के लिये यह गैस आवश्यक है । अतः यह ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है। कार्बोहाइड्रेट निर्माण में महत्वपूर्ण होती है।
3. कार्बनडाइऑक्साइड –
- यह एक भारी गैस है। यह वस्तुओं के जलने से उत्पन्न होती है। सभी प्रकार की वनस्पतियाँ कार्बनडाइऑक्साइड का उपयोग प्रकाश-संश्लेषण में करती है । वैज्ञानिकों का मानना है कि इस गैस की मात्रा में होने वाली वृद्धि से वायुमण्डल की निचली परतों के तापमान में वृद्धि हो रही है, भूमण्डलीय तपन बढ़ रहा है और जलवायु परिवर्तन हो रहा है ।
4. ओजोन –
- वायुमण्डल की एक अन्य अत्यन्त महत्वपूर्ण गैस है। इसका निर्माण ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से होता है । जलवायु की दृष्टि से इस गैस का विशेष महत्व है । यह सूर्य से आने वाली तेज पराबैंगनी विकिरण के कुछ अंश को अवशेषित कर लेती है। इस प्रकार सौर विकिरण का केवल उतना ही भाग धरातल पर पहुँचने दिया जाता है, जितना आवश्यक और उपयोगी होता है ।
5. जलवाष्प—
- जलवाष्प अधिकांशत वायुमण्डल की निचली परतों तक सीमित रहती है । ऊँचाई में वृद्धि के साथ जलवाष्प की मात्रा में कमी होती जाती है । वायुमण्डल के सम्पूर्ण जलवाष्प का 90 प्रतिशत भाग 8 किलोमीटर की ऊँचाई तक सीमित है। इसके ऊपर जलवाष्प की मात्रा काफी कम हो जाती है । वायुमण्डल में जलवाष्प की औसत मात्रा 2 प्रतिशत है ।
- जलवाष्प सूर्य से आने वाले सूर्यताप के कुछ भाग को अवशोषित कर लेता है तथा पृथ्वी द्वारा विकिरित ऊष्मा को संजोए रखता है। इस तरह यह एक कंबल का काम करता है, जिससे पृथ्वी न तो अत्यधिक गर्म और न ही अत्यधिक ठण्डी हो सकती है। जलवाष्प के संघनन से वर्षा होती है।
6. धूलकण—
- वायुमण्डल में पवन की गति के कारण सूक्ष्म धूल के कण उड़ते रहते हैं। ये धूलकण विभिन्न स्रोतों से प्राप्त होते हैं। इसमें सूक्ष्म मिट्टी, धूल, समुद्री नमक, ज्वालामुखी राख, उल्कापात के कण शामिल है। ये धूलकण प्रायः वायुमण्डल की निचली परतों में ही रहते हैं ।
- वायुमण्डल में गैस अथवा जलवाष्प के अलावा जो भी ठोस पदार्थ कणों के रूप में उपस्थित रहते हैं, वे सभी धूल कण कहलाते हैं।
- वायुमण्डलीय गैसों तथा धूलकणों से होने वाले ‘वरणात्मक प्रकीर्णन’ से ही आकाश का रंग नीला दिखाई देता है तथा इसी कारण सूर्योदय या सूर्यास्त के समय आकाश का रंग लाल हो जाता है। आर्द्र प्रदेशों की अपेक्षा औद्योगिक नगरों तथा प्रदेशों की वायु में अपेक्षाकृत अधिक धूल कण पाये जाते हैं।
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वायुमंडल किसे कहते हैं ? वायुमण्डल का महत्व और संघटन FAQ –
1. मेघ गर्जन वायुमण्डल की किस परत में होता है? [MPPSC]
(Ans : C)
2. शांत पेटी किस रेखा के दोनों ओर पायी जाती है? [LIC (ADO)]
(Ans : A)
3. भू-पृष्ठ से परावर्तित अवरक्त विकिरण के अवशोषण द्वारा भू-वायुमण्डल के तापमान में वृद्धि की प्रक्रिया को क्या कहते हैं? [RRB]
(Ans : C)
4. वायमुमण्ड से सबसे अधिक ओजोन कहाँ पर केन्द्रित है? [RRB]
(Ans : C)
5. पृथ्वी के वायुमण्डल का सर्वाधिक घनत्व कहाँ पर होता है? [SSC]
(Ans : A)
6. वायुमण्डल के किस भाग में जलवाष्प की कुल मात्रा का 90 प्रतिशत भाग विद्यमान रहता है? [UP Police]
(Ans : C)
7. पृथ्वी के वायुमण्डल का कितना प्रतिशत भाग 29km की ऊँचाई तक पाजा जाता है? [Force]
(Ans : D)
8. वायुमण्डल में दैनिक मौसम परिवर्तन निम्नलिखित में से किसके कारण होते हैं– [COP, SI,]
(Ans : A)
9. वायुदाब में अचानक आने वाली कमी निम्न में से किसका सूचक होती है? [ITI]
(Ans : B)
10. विषुवतीय निम्न दाब पेटी का विस्तार विषुवत् रेखा के दोनों ओर कितने अक्षांश तक मिलता है? [LIC]
(Ans : A)